Monday, August 28, 2017

छत्तीसगढ़ की मनोरंजन उद्योग की दशा !!!

छत्तीसगढ़ की मनोरंजन उद्योग की दशा !!!
1. छत्तीसगढ़ के लोग 80% जो मनोरंजन के लिए पैसा खर्च करते है वह है ड्रामा नाचा सांस्कृतिक प्रोग्राम ,छत्तीसगढ़ में लगभग 2000 पार्टी या ग्रुप है जो साल भर में लगभग 15000 गावो में प्रोग्राम देते है इनका एक दिन का रेट कम से कम 20000 से 150000 तक होती है और इस व्यवसाय में छत्तीसगढ़ के सबसे ज्यादा लोग काम करते है 
यह अर्थव्यवस्था लगभग 500 करोड़ की है , अभी गणेश चतुर्थी , नवरात्र, दशहरा दीपावली , फिर मेला मड़ई में इनका डिमांड होता है राजनीतिज्ञ भी चुनाव प्रचार के लिए ड्रामा या नट लोगो का सहारा लेते है ताकि लोगो की भीड़ जुटाई जा सके , सभी राजनितिक दलों ने पिछले चुनाव में इनका भरपूर उपयोग किया है ,
छत्तीसगढ़ के लोगो के बारे में ये कहना गलत है की वो अपनी बोली में अपनी संस्कृति को देखने पैसा खर्च नहीं करते , छत्तीसगढ़िया लोग छत्तीसगारिया बोली या ड्रामा देखने के लिए अच्छा रकम खर्च करते है 
छत्तीसगढ़ में यदि विश्व स्तरीय ड्रामा थिएटर का निर्माण किया जाय तो छत्तीसगढ़ में अलग तरह का रोजगार पैदा हो सकता है , ड्रामा कॉलेज लंदन और फिल्म इंस्टिट्यूट पुणे में आज भी चरण दास चोर की कहानियो पर रीसर्च किया जाता है ! छत्तीसगढ़ में ड्रामा लोगो को सबसे ज्यादा आकर्षित करता है !!!
2. छत्तीसगढ़ में फोक म्यूजिक का भी कारोबार है यह अभी 8% ही रह गया है यह ज्यादातर धार्मिक गीतों पर आधारित लोकल बोली में होती है और लोग इन गीतों में अपने आपको जुड़ा हुवा पाते है लेकिन इस विधा में ( बौद्धिक सम्पदा अधिकार ) की जानकारी नहीं होना , इस कारन जो कमाई का ग्राफ बहुत कम है !
3. छत्तीसगढ़ में फिल्मो में निवेश तो बहुत बेहतर हो रहे है पर वह अपने फिल्मो छत्तीसगढ़ के दर्शक को जोड़ने में असफल रहे है इसका मुख्य कारण ,सिर्फ फिल्म थिएटर पर निर्भरता , फिल्म की अधिकार की जानकारी न होना , फिल्म मार्किट में सही तरीके से अपने प्रोडक्ट का प्रचार न कर पाना , छत्तीसगढ़ का जो दर्शक फिल्म देखने के बाद अपने को ठगा महसूस करते है उनको संतुष्ट करने की आवश्यकता है 
छत्तीसगढ़ में हर साल 15 से 20 फिल्मे बनती है जिनकी लागत 2500000 से 10000000 तक होती है लेकिन प्रोजेक्ट ऑडिट किसी प्रोडक्शन हाउस में नहीं होता ,यह छत्तीसगढ़ के फिल्म निवेशकों के मन में (प्रोडूसर ) डर और घाटे का सौदा साबित हो रहा है , छत्तीसगढ़ में जब तक कहानी का पंजीयन , और सही दिशा में काम नहीं किया जायेगा यह ड्रामा इंडस्ट्री को टक्कर नहीं दे पायेगी !!!
छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री का आर्थिक आकलन अभी संभव नहीं है क्योकि इसमें लागत और लाभ के विषय में प्रोडूसर बात नहीं करना चाहते , हमारे सर्वे में छत्तीसगढ़ में मात्र ५% लोग ही छत्तीसगढ़ के फिल्मो के पक्ष में बात करते है !!!
4. छत्तीसगढ़ के परम्परा के अनुसार धन कटाई के बाद पुरे छत्तीसगढ़ में मेले मड़ई का आयोजन शुरू हो जाता है यह ज्यादतर धार्मिक , सांस्कृतिक और फिक्स डेट का आयोजन होता है इसमें सारे मनोरंजन के विषय रहते है , इसमें एक बड़ी बात यह की इन दिनों को लोग ब्लॉक बस्टर फिल्म की तरह इंतज़ार करते है और इन मेले मड़ई में सभी उम्र के लोग एक साथ मनोरंजन का फायदा उठाते है , यह छत्तीसगढ़ में 2% मनोरजन का साधन है जो एक दिन से लेकर 15 दिन का होता है यह छत्तीसगढ़ के लोगो के दिल से जुड़ा हुवा पहलु है ! मेला कितना भीड़ रहेगा ये फसल की पैदावार पर निर्भर करता है यह बहुत ही छोटे समय के लिए अर्थ्वव्स्था छोटा एवं महत्वपूर्ण योगदान देता है !!!